Jain Aagam Acharanga - कर्मबंधन के कारण - Book 1 Chapter 1 Lesson 1 Sutra 5 Hindi
Aagam Sutra
Original
अपरिण्णायकम्मे खलु अयं पुरिसे, जो इमाओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणुदिसाओ साहेइ, अणेगरूवाओ जोणीओ संधेइ, विरूवरूवे फासे पडिसंवेदेइ ।
Transliteration
apariṇṇāyakamme khalu ayaṃ purise, jo imāo disāo vā aṇudisāo vā aṇusaṃcarai, savvāo disāo savvāo aṇudisāo sāhei, aṇegarūvāo joṇīo saṃdhei, virūvarūve phāse paḍisaṃvedei ।
Meaning
(कर्मबंध के कारणों के विषय में) भगवान ने परिज्ञा-विवेक का उपदेश दिया है। मानव इन 6 कारणों से हिंसा करता है:
- स्वयं के वर्तमान जीवन के लिए
- प्रशंसा या यश के लिए
- सम्मान कि प्राप्ति के लिए
- पूजा के लिए
- जन्म-मरण से मुक्ति पाने के लिए, अर्थात धर्म के लिए
- दुखों के प्रतिकार के लिए, अर्थात रोग, आतंक, बीमारी, उपद्रव दूर करने के लिए
लोक में ये सभी कर्मसमारंभ-हिंसा के कारण जानने योग्य हैं और त्यागने योग्य हैं।