Jain Aagam Sutrakritanga - Book 1 Chapter 3 Lesson 1 Sutra 1 Hindi

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Aagam Sutra

Original

॥ तइअं अज्झयणं - उवसग्ग परिण्णा ॥

॥ पढमो उद्देसो ॥

सूर मण्णइ अप्पाणं, जाव जेयं ण पस्सइ ।
जुज्झंतं दढधम्माणं, सिसुपालो व महारहं ॥ १ ॥

Transliteration

॥ taiaṃ ajjhayaṇaṃ - uvasagga pariṇṇā ॥

॥ paḍhamo uddeso ॥

sūra maṇṇai appāṇaṃ, jāva jeyaṃ ṇa passai ।
jujjhaṃtaṃ daḍhadhammāṇaṃ, sisupālo va mahārahaṃ ॥ 1 ॥

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Meaning

(व्यक्ति) ख़ुद को शूर मानता है, जब तक वह विजेता को नहीं देखता। जैसे, शिशुपाल ने युद्धरत दृढ़धर्मी महारथी (कृष्ण) को (देखा)।

Glossary

  1. सूरं = शूर
  2. पस्सइ = पश्यति

Explanation

यहाँ से तीसरे अध्याय और उसके पहले उद्देशक की शुरुआत होती है।

© CA Manas Madrecha

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