Jain Aagam Acharanga - पानी की सजीवता और हिंसा का सूक्ष्म ज्ञान - Book 1 Chapter 1 Lesson 3 Sutra 5 Hindi
Aagam Sutra
Original
तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया (पवेदिता) — इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदण-माणण-पूयणाए, जाई-मरण-मोयणाए दुक्खपडिघायहेतुं से सयमेव उदयसत्थं समारंभइ, अण्णेहिं वा उदयसत्थं समारंभावेइ, अण्णे वा उदयसत्थं समारंभंते समणुजाणइ ।
तं से अहियाए तं से अबोहीए ।
Transliteration
tattha khalu bhagavayā pariṇṇā paveiyā (paveditā) — imassa ceva jīviyassa parivaṃdaṇa-māṇaṇa-pūyaṇāe, jāī-maraṇa-moyaṇāe dukkhapaḍighāyahetuṃ se sayameva udayasatthaṃ samāraṃbhai, aṇṇehiṃ vā udayasatthaṃ samāraṃbhāvei, aṇṇe vā udayasatthaṃ samāraṃbhaṃte samaṇujāṇai ।
taṃ se ahiyāe taṃ se abohīe ।
Meaning
मैं दूसरा भी कहता हूँ - हे मानव! पानी के आश्रय में दूसरे बहुत से जीव रहते हैं, इतना ही नहीं जैन दर्शन में जल को जीव कहा है, अर्थात पानी सजीव है। अपकाय के जो शस्त्र हैं, उन पर चिंतन करके देखो। भगवान ने अपकाय के अनेक शस्त्र कहे हैं। अपकाय की हिंसा सिर्फ हिंसा ही नहीं, बल्कि अदत्तादान (चोरी) भी है।