Jain Aagam Acharanga - आत्मस्वरूप का अबोध - Book 1 Chapter 1 Lesson 1 Sutra 1 Hindi
Aagam Sutra
Original
सुय मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं - इहमेगेसिं णो सण्णा भवइ ।
Transliteration
suya me āusaṃ ! teṇaṃ bhagavayā evamakkhāyaṃ - ihamegesiṃ ṇo saṇṇā bhavai ।
Meaning
हे आयुष्यमन् ! मैंने सुना है कि उन भगवान (महावीर स्वामी) ने यह कहा है कि - यहाँ संसार में कुछ प्राणियों को यह संज्ञा (ज्ञान) नहीं होती, जैसे
- मैं पूर्व दिशा से आया हूँ
- या दक्षिण दिशा से आया हूँ
- या पश्चिम दिशा से आया हूँ
- या उत्तर दिशा से आया हूँ
- या ऊर्ध्व दिशा से आया हूँ
- या अधो दिशा से आया हूँ
- या किसी अन्य दिशा से या अनुदिशा (विदिशा) से आया हूँ।
इसी प्रकार कुछ प्राणियों को यह ज्ञान नहीं होता कि
- मेरी आत्मा औपपातिक-जन्म धारण करनेवाली है या नहीं?
- मैं पूर्व जन्म में कौन था?
- मैं यहाँ से च्युत होकर (अर्थात, आयुष्य पूर्ण करके) अगले जन्म में क्या होऊँगा?